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कविता

भेड़ाघाट

प्रभुनारायण पटेल


संगमरमर की तराशी हुई वादी !
खड़ी है सम्हलकर कौन शहजादी?
प्रकृति की अनुपम छटा न्योछावर,
उल्लास की परचम है किसने फहरा दी?
ये लट, धुआँ, आग या पानी क्या है?
रूपरसधार या मौंजों की र वा नी क्या है?
किस रोशन चाँद का उड़ता सिकुड़ता आँचल,
सेज किस रति की कहानी क्या है?
ओढ़नी किसकी तार-तार बह रही?
किसने छेड़ा सितार क्या कौन कह रही?
उर्वशी ने क्या झुक झरोखे से झाँका
ये मणिमाला, मोतियों के हार क्या वही?
नग्मों की नगरी है भेड़ाघाट,
जलबों की जलपरी है भेड़ाघाट,
महुआ महारानी का महोत्सव है,
सोनम सितमगरी है भेड़ाघाट।


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